BAGLAMUKHI SADHNA NO FURTHER A MYSTERY

baglamukhi sadhna No Further a Mystery

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२२. श्रीकीलिन्यै नमः दुष्ट-शक्तियों को बाँधनेवाली शक्ति को नमस्कार।

वीजं रक्षा-मयं प्रोक्तं, मुनिभिर्ब्रह्म-वादिभि:।।

To avoid wasting the ancient cultural custom of Vedic faith, it truly is our greatest obligation to safeguard the virtues of sages. Accountability is additionally necessary for the tradition that solutions the queries from the mysteries of the planet through intelligence and logic.

अर्थात् ‘शत्रु के विनाश के लिए कृत्या-विशेष भूमि में जो गाड़ देते हैं, उन्हें नाश करनेवाली वैष्णवी महा-शक्ति को वलगहा कहते हैं।’ यही अर्थ वगला-मुखी का भी है। ‘खनु अवदारणे ‘ इम धातु से मुख’ शब्द बनता है, जिसका अर्थ मुख में पदार्थ का चर्वण या विनाश ही अभिप्रेत होता है। इस प्रकार शत्रुओं द्वारा किए हुए अभिचार को नष्ट करनेवानी महा-शक्ति का नाम ‘बगला-मुखी’ चरितार्थ होता है। श्रीमहीधर ने इसका स्पष्ट अर्थ ऐसा किया है-

चलत्-कनक-कुण्डलोल्लासित-चारु-गण्ड-स्थलां।

If the initiation rites are carried out with the Expert, that elusive animal include is totally damaged plus the disciple is mindful of the inherent divine ability.

पीत-वर्णां मदाघूर्णां, दृढ-पीन-पयोधराम् ।

कालानल-निभां देवीं, ज्वलत् – पुञ्ज-शिरोरुहां। कोटि-बाहु-समायुक्तां, वैरि-जिह्वा-समन्वितां।।

‘विजय’ प्राप्त होती है और ‘पत्नी’ पुत्र-वती होती है।

विनियोग- ॐ अस्य श्रीबगला-गायत्री-मन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः , गायत्री छन्दः, श्रीचिन्मयी शक्ति-रूपिणी-ब्रह्मास्त्र-बगला देवता, ॐ बीजं, ह्लीं शक्ति:, विद्महे कीलकं, read more श्रीब्रह्मास्त्र- बगलाम्बा-प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।

‘दिवः विष्टम्भ:’ अर्थात् दिव-लोक का स्तम्भन करनेवाली।

५. श्रीअचलायै नमः ‘पृथ्वी’ , ‘ब्रह्म-शक्ति’ को नमस्कार ।

प्राप्ति होती है।’भोज-पत्र’ पर’ अष्ट-गन्ध’ से ‘कवच’-पाठ द्वारा अभिमन्त्रित’उउक्त मन्त्र’ को लिखकर व

गर्वी खवर्ति सर्व विच्च जडति त्वद् यन्त्राणा यंत्रितः।

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